अभिनेता इरफ़ान खान दुनिया को यूँ अलविदा कह गए जैसे किसी किस्सागो ने अपने किस्सों से महफ़िल को मोहपाश में बाँध लिया हो और ठीक उस वक़्त जब हर एक दिल ने उसे अपनी धड़कनों में जगह दे दी हो, वह किसी फ़कीर की तरह सब कुछ छोड़कर उठकर चल दिया हो.
इरफ़ान खान के निधन ने उनके चाहने वालों को सदमा दे दिया है. ऐसा लग रहा है जैसे अभी तो बात शुरू हुई थी. अभी तो कई कहानियाँ बाकि थीं... कई किस्से थे... लेकिन बेहतरीन अदाकारी की कई मिसालें अधूरी रह गई... कई फ़साने अधूरे रह गए... इरफ़ान खान तो चले गए लेकिन पीछे छोड़ गए अपने चाहने वालों के दिलों में एक खाली जगह जिसे भर पाना किसी अभिनेता के लिए आसान न होगा...
इरफ़ान खान की लाजवाब अदाकारी के दीवाने उनके प्रशंसकों के लिए उनकी फिल्मों में निभाया गया उनका हर रोल यादगार है. ऐसे में केवल 10 रोल का चयन कर पाना हमारे लिए बेहद मुश्किल था. फिर भी हमने इरफ़ान खान की सभी फिल्मों में से निम्नलिखित 10 रोल चुने हैं जिनमें उनकी अदाकारी के हर एक पहलू ने एक यादगार बानगी रख दी :
1. बद्रीनाथ / सोमनाथ (चंद्रकांता)
देवकीनंदन खत्री के उपन्यास पर आधारित धारावाहिक “चंद्रकांता” टीवी इतिहास में अमर हो चुका है. इस धारावाहिक में इरफ़ान खान जुड़वाँ ऐय्यारों “बद्रीनाथ और सोमनाथ” के रोल में नज़र आये थे. लाजवाब अदायगी, सटीक वेशभूषा और अपनी बोलती आँखों से इरफ़ान खान ने इस रोल में जान डाल दी थी.
2. रणविजय सिंह (हासिल)
छात्र राजनीति को नियंत्रित करने वाले स्वार्थी और निर्दयी नेता रणविजय सिंह के रोल में इरफ़ान खान को खूब पसंद किया गया. इस नकारात्मक किरदार को अपनी अदाकारी से जीवंत कर देने के कारण इरफ़ान खान को इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला था.
3. मक़बूल (मक़बूल)
शेक्सपियर के नाटक मैकबेथ पर आधारित निर्देशक विशाल भारद्वाज की यह फिल्म इरफ़ान खान के अभिनय सफ़र में मील का पत्थर साबित हुई. इश्क़, वफ़ादारी और ख्वाहिशों के झंझावत में फँसे मक़बूल के किरदार का चित्रण इरफ़ान खान ने उतना ही सटीक किया था जितना कि शेक्सपियर ने अपने नाटक में मैकबेथ (मक़बूल) का चित्रण किया था.
4. अश्विन कुमार (तलवार)
2008 के नोएडा डबल मर्डर केस पर आधारित इस फिल्म में इरफ़ान खान ने केंद्रीय जांच विभाग के सह निदेशक अश्विन कुमार का रोल किया था. एक जाँचकर्ता के रूप में सभी तथ्यों और संभावनाओं पर गौर करते हुए, इरफ़ान खान ने इस रोल को संतुलन और संवेदनशीलता के साथ निभाया था.
5. पाई पटेल (लाइफ ऑफ़ पाई)
ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित निर्देशक आंग ली की इस फिल्म में इरफ़ान खान वयस्क हो चुके पाई पटेल के रूप में सूत्रधार की भूमिका में थे. एक लेखक को अपने जीवन की कहानी सुनाते हुए इरफ़ान खान सम्मोहित करने से लगते है. सहज सरल तरीके से जीवन दर्शन बताते हुए इरफ़ान खान एक क्षण को भी अभिनय करते हुए नहीं लगते. इरफ़ान खान के आकस्मिक देहांत के बाद इस फिल्म में उनके द्वारा कहा गया एक संवाद, उनके प्रशंसकों ने उनकी श्रद्धांजलि के रूप में याद किया “तकलीफ़ तब होती है जब आप जाने से पहले अलविदा भी नहीं कह पाते.”
6. इंस्पेक्टर विनय (राईट या रॉंग)
राईट या रॉंग दो पुलिस अफसरों के दोस्त से प्रतिद्वंद्वी बनने की कहानी है. दोस्ती और फ़र्ज़ में से फ़र्ज़ को चुनने वाले इंस्पेक्टर विनय के रोल में इरफ़ान खान खूब जंचे थे. सच्चाई की तह तक पहुँचने में अपने तकरीबन हर रिश्ते को दाँव पर लगा देने का जो जूनून इरफ़ान खान ने अपने रोल में डाल दिया था वह वाकई बेमिसाल है.
7. पान सिंह तोमर (पान सिंह तोमर)
सूबेदार पान सिंह तोमर पर बनी इस बायोग्राफी में इरफ़ान खान ने शीर्षक किरदार निभाया था. अपने वतन और मिट्टी से प्यार करने वाले एक भूतपूर्व सैनिक और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी के व्यवस्था के हाथों तंग आकर बगावत करने के बाद डकैत बन जाने के इस बेहद मुश्किल किरदार को इरफ़ान खान ने उसी जीवटता और सरलता से निभाया जिसकी इसे किरदार थी. संतुलित अभिनय और लाजवाब संवाद अदायगी ने इस फिल्म को यादगार बना दिया. इस फिल्म के लिए इरफ़ान खान को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था.
8. एजेंट वली खान (डी-डे)
नौ साल से एक वांछित अपराधी के पीछे लगे एक अंडर कवर एजेंट के इस रोल में इरफ़ान खान ने फ़र्ज़, परिवार और मौत के बीच की जद्दोजहद में फँसे इन्सान के मनोभावों को उकेरने की सफल कोशिश की थी. एजेंट वली खान के इस रोल में इरफ़ान खान को देखकर लगता है कि वह अभिनय नहीं कर रहे थे वरण वे इस किरदार को जी रहे थे.
9. साजन फ़र्नान्डिस (द लंचबॉक्स)
हिंदी सिनेमा में कल्ट क्लासिक का दर्जा पा चुकी फिल्म द लंचबॉक्स में इरफ़ान खान द्वारा निभाया गया साजन फ़र्नान्डिस का किरदार किसी परिचय का मोहताज नहीं है. हर एक बार लंचबॉक्स खोलते समय खाने की खुशबू को आत्मसात करता हुआ इरफ़ान खान उर्फ़ साजन फ़र्नान्डिस का मुस्कुराता हुआ चेहरा आज भी दर्शकों को भूख महसूस करा देता है. बिना कोई बातचीत किये केवल चेहरे के हाव भाव द्वारा अपनी बात कह देने का हुनर भला इरफ़ान खान से बेहतर और किसके पास था.
10. राज बत्रा (हिंदी मीडियम)
बेहद सफल रही इस फिल्म में इरफ़ान खान ने अपनी संस्कृति और सभ्यता पर नाज़ करने वाले एक ऐसे हिन्दुस्तानी का रोल किया था जो उच्च मध्यमवर्गीय स्टेटस सिंबल का अन्धानुकरण करने से इंकार कर देता है. इरफ़ान खान की इस फिल्म को इंडस्ट्री और प्रशंसकों ने हाथोहाथ लिया था.