एक वो वक़्त था जब गानों और गायकों की उम्र कई दशकों तक की हुआ करती थी. किशोर दा, लता दीदी, मोहम्मद रफ़ी, मुकेश, मन्ना डे, सुरैया जैसे गायन के महारथी तो उम्र से परे हैं, अमर हो चुके है.
नयी पीढ़ी के गायकों में, कुमार शानू, अलका याग्निक, उदित नारायण, सोनू निगम, शान, केके, कविता कृष्णमूर्ति, श्रेया घोषाल आदि ने भी काफी लंबे समय तक श्रोताओं के दिलों पर राज किया.
लेकिन टेक्नोलॉजी के विकास और श्रोताओं की बदलती पसंद ने गायकों की उम्र बहुत कम कर दी. पहले जो गायक दशकों तक सुने जाते जाते थे, अब वे केवल कुछ गानों तक ही सिमट कर रह गए. ऐसे में बस गिनती के गायक है जो श्रोताओं के ज़ेहन और उनकी पसंद में छाए रहे हैं. बेनी दयाल उन्हीं चंद गायकों में से है जो पिछले कई सालों से केवल अपने हिंदी गानों के ज़रिए ही नहीं बल्कि अपने मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, बांग्ला और गुजराती गानों के ज़रिए भी संगीतप्रेमियों की फेवरिट लिस्ट में काबिज़ है.