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टूटे दिल के तारों से

टूटे दिल के तारों से

अजीबोगरीब वाक्ये बनकर रह गए
जिनको हमे दास्तां बनाना था
बिन सोचे समझे बहुत कुछ कह गए
जिन्हें हमें अपना हाल-ए-दिल सुनाना था

कुछ ख्वाहिशें अधूरी रह गयी
कुछ ख्वाहिशे पूरी करने की ज़ोर में
कुछ रिश्ते की आह दबी रह गयी
कुछ सपनों के टूटने के शोर मैं

फिलवक्त आज़ाद हूँ मैं उन बंधनो से
जिनके बोझ तले कंधे झुके थे
लेकिन गुलाम हूँ उन खूबसूरत लम्हों का
जो इन तहेदिल बंधनों से जुड़े थे

 

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गतिशील जीवन में पछतावे के “ब्रेक” हैं
असल में न सही यादों में तो एक हैं
मुकद्दर था या वक़्त की बिसात थी
वजह चाहे कुछ भी पर इरादे नेक थे

मुकद्दस सा मंज़र हो, फिर से वो नूर हो
एक हो दो मन, जो सदियों से दूर हो
शक बस हैं सिर्फ दिलों के मिलन का
दोष भरी नजरों का, समाज के चलन का

कुछ हसरतें दबा लेंगे हम लफ़्ज़ों के खेल से
उम्र भी बिता लेंगे यादों के ढेर में
लेकिन और जंग नहीं लड़ सकते खुद से
और नहीं फंस सकते वक़्त के फेर में

और बयाँ क्या करें, ख़्वाबों बेसहारों से
एक आह सी निकलती है, इन टूटे दिल के तारों से.

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