आज मदर्स डे है और आज हम सब अपने जीवन में अपनी माँ की भूमिका का शुक्रिया अदा कर रहे हैं. ऐसे में आज हम फ़िल्मी दुनिया में ऑनस्क्रीन माँ की भूमिका निभाने वाली उन अभिनेत्रियों की भी चर्चा करेंगे जिन्होंने इस रोल में अपनी दमदार अदायगी से ऐसी छाप छोड़ी कि उनके ऑनस्क्रीन बच्चों के साथ-साथ दर्शक भी भावविभोर हो गए.
माँ की दमदार भूमिका निभाने वाली सभी अभिनेत्रियों की चर्चा करना तो मुश्किल है, फिर भी हमने उन कुछ अदाकाराओं की सूची बनाई है जिनके द्वारा फ़िल्मी परदे पर निभाई गई माँ की भूमिकाएँ आज भी अभिनय की मिसाल मानी जाती है.
नर्गिस दत्त
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माँ की भूमिका की बात हो और “मदर इंडिया” का नाम सबसे ऊपर न आये, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए, एकल अभिभावक के तौर पर अपने बच्चों की परवरिश करना. तिस पर एक बेटे के नालायक निकल जाने के संताप को सहन करना, मरहूम नर्गिस दत्त ने ऐसी जीवंतता से यह रोल निभाया, कि वह इस पूरी फिल्म में अभिनेत्री के बजाय माँ ही नज़र आई. उसके आतताईपन से आजिज आकर अपने ही बेटे पर गोली चलाती हुई माँ के रूप में नर्गिस ने इस सीन को कल्ट क्लासिक बना दिया.
निरूपा रॉय
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फ़िल्मी दुनिया में जिस अभिनेत्री ने सबसे ज्यादा माँ के रोल को जिया, यकीनन वे निरूपा रॉय ही हैं. अनगिनत फिल्मों में कभी वे एक दुखियारी माँ तो कभी एक सशक्त माँ के रूप में नज़र आई. माना जाता है कि सुपरहिट फिल्मों जैसे “अमर अकबर एंथोनी”, “दीवार”, “सुहाग”, “मर्द” इत्यादि की सफलता में उनके अभिनय का बहुत बड़ा हाथ था. उन्होंने पूरे एक दशक तक महानायक अमिताभ बच्चन की “ऑन स्क्रीन माँ” की भूमिका निभाई. कहा जाता है कि अमिताभ उन्हें अपनी माँ की तरह मानते थे.
सुलोचना लाटकर
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निरूपा रॉय की तरह ही सुलोचना लाटकर सत्तर एवं अस्सी के दशक में फ़िल्मी परदे पर माँ की भूमिका में छाई रही. उनके ज़्यादातर रोल भी जीवन में कष्ट झेलती माँ के रहे. उन्होंने अपने अभिनय से माँ के रोल को जीवंत कर दिया. “मजबूर”, “मुकद्दर का सिकंदर”, “जॉनी मेरा नाम” जैसी फिल्मों में उन्होंने यादगार रोल निभाए.
दीना पाठक
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फिल्म “खुबसूरत” की अनुशासनप्रिय गृहिणी को भला कौन भूल सकता है. अपने अनुशासन से घर एक सूत्र में बाँधने वाली माँ की भूमिका में दीना पाठक ने इस रोल को यादगार बना दिया. हालाँकि दीना पाठक ने दुखी माँ के बजाए माँ की भूमिका के दूसरे आयामों में खुद को साबित किया. इनमें फिल्म “गोलमाल”, “उमराव जान”, “कोशिश” इत्यादि में उनके द्वारा निभाए गए रोल प्रमुख थे.
फरीदा जलाल
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नब्बे के दशक में माँ की भूमिका में विविधता आई. अब माँ केवल दुखियारी न रही. बल्कि वह बच्चों की दोस्त और घर में अहम् फैसले लेने वाली भूमिका में आने लगी. फरीदा जलाल ने नब्बे के दशक में माँ की भूमिका में कई प्यारे रोल किये. “लाडला”, “कुछ कुछ होता है” और “दिलवाले दुल्हनियाँ ले जाएँगे” में उनके द्वारा निभाई गई माँ की भूमिका दर्शकों के ज़ेहन में आज भी ताज़ा है. फरीदा जलाल को अभिनेता शाहरुख़ खान की “ऑन स्क्रीन माँ” के रूप में भी जाना जाता है.
रीमा लागू
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माँ की भूमिका में अभिनेत्री रीमा लागू ने भी अपनी छाप छोड़ी. मुख्य रूप से सूरज बडजात्या की फिल्मों में आने वाली रीमा लागू आज भी “हम आपके है कौन” में माधुरी दीक्षित की माँ और आलोक नाथ की समधन के रूप में लोकप्रिय है. इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मों में शाहरुख़ खान की माँ की भूमिका भी निभाई जिनमें “कल हो न हो” में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका प्रमुख है.
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