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10 अभिनेत्रियाँ जो बनी फ़िल्मी दुनिया की आइकोनिक ऑनस्क्रीन माँ

10 अभिनेत्रियाँ जो बनी फ़िल्मी दुनिया की आइकोनिक ऑनस्क्रीन माँ
Image Credit - Alpha Coders

आज मदर्स डे है और आज हम सब अपने जीवन में अपनी माँ की भूमिका का शुक्रिया अदा कर रहे हैं. ऐसे में आज हम फ़िल्मी दुनिया में ऑनस्क्रीन माँ की भूमिका निभाने वाली उन अभिनेत्रियों की भी चर्चा करेंगे जिन्होंने इस रोल में अपनी दमदार अदायगी से ऐसी छाप छोड़ी कि उनके ऑनस्क्रीन बच्चों के साथ-साथ दर्शक भी भावविभोर हो गए.

माँ की दमदार भूमिका निभाने वाली सभी अभिनेत्रियों की चर्चा करना तो मुश्किल है, फिर भी हमने उन कुछ अदाकाराओं की सूची बनाई है जिनके द्वारा फ़िल्मी परदे पर निभाई गई माँ की भूमिकाएँ आज भी अभिनय की मिसाल मानी जाती है.

नर्गिस दत्त

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Image Credit - Idiva


माँ की भूमिका की बात हो और “मदर इंडिया” का नाम सबसे ऊपर न आये, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए, एकल अभिभावक के तौर पर अपने बच्चों की परवरिश करना. तिस पर एक बेटे के नालायक निकल जाने के संताप को सहन करना, मरहूम नर्गिस दत्त ने ऐसी जीवंतता से यह रोल निभाया, कि वह इस पूरी फिल्म में अभिनेत्री के बजाय माँ ही नज़र आई. उसके आतताईपन से आजिज आकर अपने ही बेटे पर गोली चलाती हुई माँ के रूप में नर्गिस ने इस सीन को कल्ट क्लासिक बना दिया.

निरूपा रॉय

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Image Credit - Amarujala

 

फ़िल्मी दुनिया में जिस अभिनेत्री ने सबसे ज्यादा माँ के रोल को जिया, यकीनन वे निरूपा रॉय ही हैं. अनगिनत फिल्मों में कभी वे एक दुखियारी माँ तो कभी एक सशक्त माँ के रूप में नज़र आई. माना जाता है कि सुपरहिट फिल्मों जैसे “अमर अकबर एंथोनी”, “दीवार”, “सुहाग”, “मर्द” इत्यादि की सफलता में उनके अभिनय का बहुत बड़ा हाथ था. उन्होंने पूरे एक दशक तक महानायक अमिताभ बच्चन की “ऑन स्क्रीन माँ” की भूमिका निभाई. कहा जाता है कि अमिताभ उन्हें अपनी माँ की तरह मानते थे.

 

सुलोचना लाटकर

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Image Credit - Latkar


निरूपा रॉय की तरह ही सुलोचना लाटकर सत्तर एवं अस्सी के दशक में फ़िल्मी परदे पर माँ की भूमिका में छाई रही. उनके ज़्यादातर रोल भी जीवन में कष्ट झेलती माँ के रहे. उन्होंने अपने अभिनय से माँ के रोल को जीवंत कर दिया. “मजबूर”, “मुकद्दर का सिकंदर”, “जॉनी मेरा नाम” जैसी फिल्मों में उन्होंने यादगार रोल निभाए.

दीना पाठक

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Image Credit - Dailyo


फिल्म “खुबसूरत” की अनुशासनप्रिय गृहिणी को भला कौन भूल सकता है. अपने अनुशासन से घर एक सूत्र में बाँधने वाली माँ की भूमिका में दीना पाठक ने इस रोल को यादगार बना दिया. हालाँकि दीना पाठक ने दुखी माँ के बजाए माँ की भूमिका के दूसरे आयामों में खुद को साबित किया. इनमें फिल्म “गोलमाल”, “उमराव जान”, “कोशिश” इत्यादि में उनके द्वारा निभाए गए रोल प्रमुख थे.

फरीदा जलाल


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Image Credit - Tellychakkar


नब्बे के दशक में माँ की भूमिका में विविधता आई. अब माँ केवल दुखियारी न रही. बल्कि वह बच्चों की दोस्त और घर में अहम् फैसले लेने वाली भूमिका में आने लगी. फरीदा जलाल ने नब्बे के दशक में माँ की भूमिका में कई प्यारे रोल किये. “लाडला”, “कुछ कुछ होता है” और “दिलवाले दुल्हनियाँ ले जाएँगे” में उनके द्वारा निभाई गई माँ की भूमिका दर्शकों के ज़ेहन में आज भी ताज़ा है. फरीदा जलाल को अभिनेता शाहरुख़ खान की “ऑन स्क्रीन माँ” के रूप में भी जाना जाता है. 

 

रीमा लागू

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Image Credit - The Tribune


माँ की भूमिका में अभिनेत्री रीमा लागू ने भी अपनी छाप छोड़ी. मुख्य रूप से सूरज बडजात्या की फिल्मों में आने वाली रीमा लागू आज भी “हम आपके है कौन” में माधुरी दीक्षित की माँ और आलोक नाथ की समधन के रूप में लोकप्रिय है. इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मों में शाहरुख़ खान की माँ की भूमिका भी निभाई जिनमें “कल हो न हो” में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका प्रमुख है.

 

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रोहिणी हट्टनगड़ी

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Image Credit - Times Of India


मुन्नाभाई की जादू की झप्पी याद है आपको? है न? फिर आपको मुन्नाभाई की माँ भी याद होंगी? सिर्फ मुन्नाभाई की माँ ही नहीं, रोहिणी हट्टनगड़ी ने कई फिल्मों में माँ की यादगार भूमिका निभाई. वे काफी समय तक फ़िल्मी दुनिया में माँ का चेहरा बनी रही. “पुकार”, “लज्जा”, “मुन्नाभाई” सीरीज आदि उनकी प्रमुख फ़िल्में थी.

किरण खेर

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Image Credit - Indian Express


आधुनिक माँ के रूप में किरण खेर की अपनी अलग ही पहचान है. किरण खेर ने ऐसी माँ की भूमिका निभाई जो “मैं हूँ ना” में अपने पति के नाजायज़ बच्चे को अपनाने से मना कर देती है. और “क़र्ज़” में सदमे से उबर न पाने के कारण अपने बच्चे को सीने से नहीं लगा पाती. कभी वे “खुबसूरत” की चुलबुली माँ होती है तो कभी “देवदास” की सीधी, सरल, स्वाभिमानी माँ. किरण खेर ने माँ की भूमिका में बहुआयामी रोल किए.

रत्ना पाठक शाह

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Image Credit - Femina


एलिट, अप्पर क्लास मॉडर्न माँ की भूमिका में रत्ना पाठक शाह अपनी पहचान बना चुकी है. टेलीविज़न सिरीज़ “साराभाई वर्सेज साराभाई” को अगर छोड़ भी दे तो चाहे “खुबसूरत” की सख्त माँ हो या “कपूर एंड संस” की आधुनिक माँ, “गोलमाल 3” की चुलबुली माँ हो या “थप्पड़” की सीधी सरल माँ, रत्ना पाठक शाह माँ के हर रोल में खूबसूरती से जंचती है.

श्रीदेवी

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Image Credit - Zee News


दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी ने माँ के ज्यादा रोल नहीं किए, लेकिन उन्हीं चंद फिल्मों में उन्होंने माँ की ऐसी भूमिका निभाई जो फ़िल्मी दुनिया में मील का पत्थर साबित होती है. “इंग्लिश विंग्लिश” में बच्चों द्वारा उपेक्षित माँ द्वारा खुद को सशक्त बनाने के खुबसूरत सफ़र को उन्होंने जितनी शिद्दत से निभाया, उसकी मिसाल कठिन है. किसी ने नहीं सोचा था कि “इंग्लिश विंग्लिश” में इतनी प्यारी माँ का रोल निभाने वाली श्रीदेवी फिल्म “मॉम” में अपने बच्चे को इंसाफ दिलाने के लिए एक खतरनाक रास्ते पर चल पड़ने वाली माँ का किरदार भी उतनी ही शिद्दत से निभा जाती है. इन दोनों फिल्मों में माँ के दो विपरीत रूपों को एकसमान दमदार अभिनय से निभाने वाली श्रीदेवी अपनी आखिरी अभिनीत फिल्म “मॉम” में माँ की भूमिका को यादगार बना गई.

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